Sunday, 18 August 2013

झाड़ू लगाने की योग्यता.....



बैल मुझे मार |वे रोज एक बयान देकरबैल
किस्म के विरोधियों को न्योता दिए रहते हैं|
हिन्दुस्तान मेंसांडसे लडने का माद्दा होता नहीं |
ही, यहाँ कोई लाल कपड़ा लेके सांड के आगे फहराता है और ही कोई बिगडैल सांड उछल-उछल के दौडाने वाले के पीछे भागता है |
हमारे यहाँ लाल झंडी का प्रयोग-उपयोग भी अब इलेक्टानिक युग आने पर खत्म होने के कगार पर है|रेलवे  वाले कभीकभार मेंटनेंस के नाम पर ट्रेक के बीचो-बीच लाल कपड़ा दो लकडी के खूटों में बाँध देते हैं बस
लाल गमछे वाले छूट-भइये नेता भी विलुप्त होने के  जैसे हैं|
आज से  हजार साल बादफासिलमें इनकागमछादेख के केवल अनुमान लगाया जाता रहेगा कि कभी छुटभैइयों  का ड्रेसकोड भी होता था |
छुटभैइयों का चोला पार्टी के थीम कलर पर यानी भगुआ ,तिरंगा ,नीला ,पीला या आसमानी सा हो गया है|वे कहते हैं,चंदा जमा करने या शहर बंद कराने के दौरान  ये चोला बहुत मारक  क्षमता रखता है|
पार्टी वाले भड़काऊ किस्म केवचन-प्रवचनकरने वाले प्रवक्ताओं को आगे किए रहते  है |
जैसे ही बैलवाला संवाद कहीं से आया नहीं कि ये लठ्ठ लेकर पीछे दौड पडते हैं, और तब तक दौडाते हैं कि अगला कहीं नदी-नाले में गिर कर हाफ्ने लगे |(यहाँनदीको सिर्फ प्रतीकात्मक प्रचलन समझ कर पढे तो अच्छा लगेगा |)
नीचा दिखाने के नाम पर वे कहते हैं ,उन्हें तो पी एम के दफ्तर में झाड़ू लगाने की नौकरी भी नहीं मिल सकती |
अब एक  कार्यकर्ता जो इसी स्तर  से उठते  हुए ऊपर पहुचा है, उसकी काबलियत पर शक करना बेकार की बात है कि नहीं ? वैसे अपने घर में ,ऐसा कोई शख्श नही जो दावे के साथ  कहे कि उसने कभी  झाड़ू लगाई ही नहीं ?
वे इस बात का खुलासा भी नहीं करते कि झाड़ू किस स्तर  का लगवाना है |
सी.बी आई वाला झाड़ू या इनकम टैक्स टाइप झाड़ू |सीबी आई ,समूचा दफ्तर साफ कर के कचरा हटाने का दावा करती है |इंकम टेक्स वाले यूँ झाड़ू फेरते हैं कि सब खायापीया एक-बारगी निकल जाता है|
वे तिनका भी नहीं छोडते |
इस प्रकार केझाड़ू-कर्ताओ’  की बकायदा नियुक्ति होती है ,वे पढाकू किस्म के लोग होते हैं ज्ञान का भण्डार उनमे कूट-कूट कर भरा होता है |
उनके काम को असभ्य लोग बोलचाल में भलेझाड़ू लगाना या किए कराए पर झाड़ू फेरना कहें , मगर वे छापे को छापे की  पूरी प्रक्रिया से  निबाहते हुए एक वैधानिक स्तिथी से न्यायालय को अवगत कराते हैं |
उनकी सफाई रास्ते के रोडे-पत्थर और काटों को हटाने की नेक-नीयती में होती है |
बडबोले बाबू, कभी यूँ प्रचारित करके कि मैंने फलां इलेक्शन में आठ करोड लगाए हैं, अपना पैर कुल्हाडी पर दे मारते हैं |
सीधा सा गणित ये कहता है कि, पांच साल के कार्यकाल में कोई तनखा इतनी रकम दे नहीं सकती और ये हैं कि इतनी बड़ी रकम इलेक्शन में झोक देते हैं |अगर हार गए तो घर का मुद्दल ही साफ |
ये चुनाव आयोग की पक्की दीवारों में सेध लगाने जैसी बात हुई कि नहीं ?
 हमारे बुजुर्ग ने ये हिदायत दे रखी है कि कल जिनका तलुआ चाटना है, आज तो कम से कम उंनके विरुध्द बोलो |
हम लोग इस नसीहत की अनदेखी का परिणाम आज तक भुगत रहे हैं |
हमारे क्लास में दब्बू किस्म का एक दुबला-पतला ,मरियल सा लड़का था |अपने -आप में सिमटा सा |उसे  हम किसी खेल में नहीं रखते थे अगर वो टीचर के कहने पर रख भी लिया जाता तो उस टीम के लिए पानौती साबित होता |
टीम की हार सुनिश्चित हो जाती |सभी उसेपनौती-पनौतीचिढाते |
जाने क्या चमत्कार हुआ किपनौतीआज मिनिस्टर है | आज वो जिस काम को भी हाथ लगाता है वहीं तरक्की दिखाई देती है |
 उसे सताने वाले हम सभी दोस्त आज उनसे एक सादा सा, अपना ट्रांसफर वाला काम भी नहीं करवा सकते |हमे अपने-आप से शर्म सी आती है |
हम लोगों ने अनजाने में एक बैल को, आने वाले भविष्य में हमे मारने का न्यौता  दे दिया था |
हमारा अपराध क्षम्य हो प्रभु |
(मोराल आफ स्टोरी : .झाड़ू लगाने की क्षमता हर छोटे बड़ों, सब में होती है किसी को इतना मत छेड़ो कि तुम्हे पूरे का पूरा साफ कर दे |. इतना मत फेको कि यमराज तुम्हे बिना वक्त बुलाने के लिए टेंशन ले और दे  . किसी बैल को इतना मत सताओ कि उसमे सांड सा बल जाए ,कि तुमसे सम्हालते बने )
सुशील यादव
श्रिम सृष्टि
सन फार्मा रोड अटलादरा
वडोदरा (गुजरात)३९००१२
मोबाइल 09426764552




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