धुआँ-धुआँ है शहर में, हवा नही है
मै जो बीमार हूं ,मेरी दवा नहीं है तलाश उस शख्श की, है अभी जारी
जिसके पावों छाले-छाले, जो थका नहीं हैकहाँ तक लाद कर हम ,बोझ को चलें
बनके श्रवण माँ –बाप को पूजा नहीं है दंगो के शहर दहशत लिए फिरता हूँ मै
कोई हादसा करीब से बस छुआ नहीं है लहरों से मिटी है , रेतो की इबारत
सीने में लिखा नाम तो मिटा नहीं है Sushil Yadav, Vadodara,28.12.11
09426764552

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